প্রাক্তন কেন্দ্রীয় মন্ত্রী জন বার্লা তৃণমূলে যোগ দিলেন
উত্তরবঙ্গে বিজেপির উত্থানের অন্যতম রূপকার প্রাক্তন কেন্দ্রীয় মন্ত্রী ও আলিপুরদুয়ারের প্রাক্তন সাংসদ জন বার্লা ২০২১ সালে রাজ্য বিভাজন করে পৃথক কেন্দ্রশাসিত অঞ্চল গঠনের দাবি তুলেছিলেন। বিজেপিতে থাকাকালীন দীর্ঘদিন ধরেই তিনি পৃথক রাজ্যের দাবি জানিয়ে এসেছেন, এই যুক্তিতে যে উত্তরবঙ্গ বহু বছর ধরে উন্নয়নের অভাবে ভুগছে।
এখন দেখা যাবে যে তৃণমূলে যোগদানের পর তিনি তাঁর রাজ্য ভাগের দাবির বিষয়ে কী অবস্থান নেন, কারণ বিজেপিতে থাকার সময় তিনি দাবি করেছিলেন যে পশ্চিমবঙ্গের মানুষ কেন্দ্রীয় প্রকল্পগুলির সুবিধা পাচ্ছেন না এবং কেন্দ্রীয় মন্ত্রী হিসেবে তিনি তা পৌঁছে দেওয়ার চেষ্টা করছেন।
তৃণমূলে যোগ দিয়ে বিজেপির বিরুদ্ধে সরব হন জন বার্লা। তিনি অভিযোগ করেন, বিজেপি রাজ্যে উন্নয়ন কার্য বন্ধ করে দিয়েছিল এবং তাঁকে আদিবাসীদের জন্য কাজ করতেও দেয়নি। তিনি বলেন, “যে দল উন্নয়ন বন্ধ করে দেয়, সেখানে কিভাবে কাজ করা যায়? আমি এমন দলে কেন থাকব, যারা মানুষের জন্য কাজ করতে দেয় না? চা-বাগানের শ্রমিকরা বিজেপিকে আশীর্বাদ করেছিলেন, কিন্তু বিনিময়ে তাঁরা কী পেয়েছেন?”
বৃহস্পতিবার তৃণমূল কংগ্রেসে যোগ দিয়ে মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে ধন্যবাদ জানান জন বার্লা। তিনি বলেন, “আমি দিদিকে ধন্যবাদ জানাই, যিনি আমাকে চা-বাগানের মানুষের জন্য কাজ করার সুযোগ দিয়েছেন। পশ্চিমবঙ্গে চা-বাগান শ্রমিকদের উপজাতি মর্যাদা দেওয়া হয়েছে। আসামে যেখানে ডাবল ইঞ্জিন সরকার রয়েছে, সেখানেও তা এখনো হয়নি। দিদির দুয়ারে সরকার, লক্ষ্মীর ভাণ্ডার ও অন্যান্য সামাজিক প্রকল্পগুলি চা-বাগানের মানুষদের উপকৃত করেছে।”
তিনি আরও বলেন, বিজেপিতে থাকাকালীন তিনি বহু বাধার সম্মুখীন হয়েছিলেন এবং সাংসদ হয়েও নিজের দায়িত্ব পালন করতে পারেননি। “৬-৭ মাস ধরে আলোচনা চলছিল। দিদি আমায় ডাকলেন মানুষের জন্য কাজ করতে। আমি ইউনিয়ন মন্ত্রী হিসেবে চা-বাগানের জন্য কাজ করেছি, কিন্তু বাধা এসেছে। আমি একটি হাসপাতাল বানাতে চেয়েছিলাম, সম্পূর্ণ অর্থ ছিল, রেলও জমি দিয়েছিল। কিন্তু বিরোধী নেতা শুভেন্দু অধিকারী তা আটকে দেন।”
তিনি বলেন, “১৬০ কোটি টাকার হাসপাতাল বানাতে চেয়েছিলাম। সমঝোতা চুক্তি (MoU) সই হওয়ার কথা ছিল। কিন্তু এখান থেকে ফোন গিয়ে কাজ বন্ধ করে দেয়। যে দলে উন্নয়ন কাজ বন্ধ হয়, সেখানে থেকে কীভাবে কাজ করব? কেন থাকব সেই দলে? চা-বাগান শ্রমিকরা বিজেপিকে আশীর্বাদ করেছিলেন, কিন্তু কী পেলেন তাঁরা?”
২০২১ সালের পর বিজেপি থেকে প্রায় ১০ জন বিধায়ক দলত্যাগ করেছেন। এই প্রেক্ষিতে বার্লার দলবদল ২০২৬ সালের নির্বাচনের আগে বিজেপির জন্য বড় ধাক্কা, বিশেষত উত্তরবঙ্গের চা-বেল্টে। তৃণমূলের প্রবীণ নেতা সুব্রত বক্সী বলেন, “বার্লা আমাদের দলে যোগ দেওয়ায় চা-বাগান স্তরের সংগঠন আরও মজবুত হবে। মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের এই সিদ্ধান্ত সঠিক।”
বানারহাট ব্লক তৃণমূল কংগ্রেস কার্যালয়ে জন বার্লাকে যোগদানের জন্য সংবর্ধনা জানানো হয়। ব্লক সভাপতি সাগর গুরুং ও অন্যান্য বিশিষ্ট নেতৃবৃন্দ অনুষ্ঠানে উপস্থিত ছিলেন।
Ex-Union Minister John Barla joins TMC
John Barla, one of the key architects of the BJP's inroads into North Bengal, had demanded a separate Union Territory by carving out the region from West Bengal in 2021. As a former Union Minister and ex-MP from Alipurduar, Barla had long demanded a separate state while he was in the BJP, claiming that North Bengal lacked development.
In June 2021, Barla reiterated his demand for a separate state or Union Territory in North Bengal, arguing that the region had suffered years of neglect. It remains to be seen what his stance on the issue will be after joining the Trinamool Congress, given that he previously stated West Bengal’s people were not receiving the benefits of central schemes and, as a Union Minister, he was committed to ensuring those benefits reached them.
After joining Trinamool Congress, Mr. Barla criticized the BJP, accusing it of stalling development in the state and preventing him from working for tribal communities. "If development work is obstructed by a party, how can you function? Why should I remain in a party that stops serving the people? Tea garden workers blessed the BJP, but what did they get in return?" he questioned.
On Thursday, John Barla formally joined the Trinamool Congress and thanked Chief Minister Mamata Banerjee for giving him the opportunity to serve the people. “I thank Didi for allowing me to work for the people in tea gardens. The tribal status has been granted to tea garden workers in West Bengal. In Assam, despite a double-engine government, it is yet to be done. Schemes like Duare Sarkar, Lakshmir Bhandar, and others initiated by Mamata Banerjee have benefitted tea garden residents,” Barla said. He claimed that he had faced multiple obstacles while in BJP and was unable to fulfill his responsibilities despite being a public representative.
“Discussions had been ongoing for the past 6-7 months. Didi asked me to work for the people. As a Union Minister, I had worked for tea gardens but faced many hurdles. I wanted to build a hospital and received full funding for it, but Leader of Opposition Suvendu Adhikari prevented its construction. The Centre provided 100% funding, and the Railways had cleared the land,” Barla alleged.
Criticizing Adhikari further, Barla added, “I proposed a ₹160 crore hospital. We were on the verge of signing the MoU when a call from here halted the project. If a party stops development, how can anyone work? Why remain in such a party? Tea garden workers supported BJP — but what did they get in return?”
Following the defection of about 10 BJP MLAs since 2021, Barla’s exit is seen as a blow to the BJP ahead of the 2026 Assembly elections, especially in the tea belt of North Bengal. Senior TMC leader Subrata Bakshi remarked, “Barla’s inclusion will strengthen our tea garden-level organization. Mamata Banerjee made the right decision.”
John Barla was felicitated at the Banarhat Block AITC Office upon his joining the TMC. Block President Sagar Gurung and other senior leaders were present at the occasion.
पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉन बारला तृणमूल कांग्रेस में शामिल
उत्तर बंगाल में बीजेपी के विस्तार के प्रमुख रणनीतिकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा अलीपुरद्वार के पूर्व सांसद जॉन बारला ने 2021 में राज्य को विभाजित कर एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की थी। बीजेपी में रहते हुए वह लंबे समय से उत्तर बंगाल के लिए अलग राज्य की मांग करते रहे हैं, यह कहते हुए कि क्षेत्र विकास से वंचित रहा है।
अब देखना होगा कि तृणमूल में शामिल होने के बाद उनका रुख क्या होता है, क्योंकि बीजेपी में रहते हुए उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल की जनता को केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है और एक केंद्रीय मंत्री के रूप में वह यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे थे कि लोगों को इसका लाभ मिले।
तृणमूल में शामिल होने के बाद श्री बारला ने बीजेपी पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि पार्टी ने राज्य में विकास कार्यों को रोक दिया था और उन्हें आदिवासियों के लिए काम नहीं करने दिया। उन्होंने कहा, "अगर कोई पार्टी विकास कार्यों को रोक देती है तो आप कैसे काम करेंगे? मैं उस पार्टी का हिस्सा क्यों रहूं जो लोगों के लिए काम नहीं करती? चाय बागान के मजदूरों ने बीजेपी को आशीर्वाद दिया, लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला?"
गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल होकर उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “मैं दीदी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे चाय बागान के लोगों के लिए काम करने का मौका दिया। पश्चिम बंगाल में चाय बागान के श्रमिकों को आदिवासी दर्जा दिया गया है। असम में, जहां डबल इंजन सरकार है, अब तक ऐसा नहीं हुआ है। दीदी की योजनाओं जैसे द्वारे सरकार, लक्ष्मी भंडार आदि से चाय बागानों के लोग लाभान्वित हुए हैं।”
बारला ने कहा कि बीजेपी में उन्हें कई बार अड़चनों का सामना करना पड़ा और एक जन प्रतिनिधि होने के बावजूद वह अपना काम नहीं कर सके। “पिछले 6-7 महीनों से चर्चा चल रही थी। दीदी ने मुझे लोगों के लिए काम करने के लिए बुलाया। मैं यूनियन मंत्री रहते हुए चाय बागानों के लिए काम कर रहा था, लेकिन रुकावटें थीं। मैं एक अस्पताल बनाना चाहता था। फंड पूरा मिल गया था, रेलवे ने जमीन भी दे दी थी, लेकिन विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसे रोक दिया।”
उन्होंने कहा, “मैं ₹160 करोड़ का अस्पताल बनाना चाहता था। एमओयू साइन होने ही वाला था, लेकिन यहां से मंत्रालय को फोन गया और काम रुक गया। जब कोई पार्टी विकास को ही रोक दे, तो उस पार्टी में कैसे काम हो सकता है? मैं क्यों रहूं उस पार्टी में? चाय बागान के श्रमिकों ने बीजेपी को समर्थन दिया था, लेकिन उन्हें बदले में क्या मिला?”
2021 के बाद से लगभग 10 भाजपा विधायकों के पलायन के बाद, बारला का पार्टी छोड़ना विशेषकर उत्तर बंगाल के चाय क्षेत्र में, 2026 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वरिष्ठ तृणमूल नेता सुभ्रत बक्शी ने कहा, “बारला के पार्टी में शामिल होने से हमारे चाय बागान स्तर की संगठनात्मक ताकत बढ़ेगी। ममता बनर्जी का यह निर्णय बिल्कुल सही है।”
जॉन बारला को तृणमूल में शामिल होने पर बनरहाट ब्लॉक एआईटीसी कार्यालय में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ब्लॉक अध्यक्ष सागर गुरंग और अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे।
উত্তরবঙ্গে বিজেপির উত্থানের অন্যতম রূপকার প্রাক্তন কেন্দ্রীয় মন্ত্রী ও আলিপুরদুয়ারের প্রাক্তন সাংসদ জন বার্লা ২০২১ সালে রাজ্য বিভাজন করে পৃথক কেন্দ্রশাসিত অঞ্চল গঠনের দাবি তুলেছিলেন। বিজেপিতে থাকাকালীন দীর্ঘদিন ধরেই তিনি পৃথক রাজ্যের দাবি জানিয়ে এসেছেন, এই যুক্তিতে যে উত্তরবঙ্গ বহু বছর ধরে উন্নয়নের অভাবে ভুগছে।
এখন দেখা যাবে যে তৃণমূলে যোগদানের পর তিনি তাঁর রাজ্য ভাগের দাবির বিষয়ে কী অবস্থান নেন, কারণ বিজেপিতে থাকার সময় তিনি দাবি করেছিলেন যে পশ্চিমবঙ্গের মানুষ কেন্দ্রীয় প্রকল্পগুলির সুবিধা পাচ্ছেন না এবং কেন্দ্রীয় মন্ত্রী হিসেবে তিনি তা পৌঁছে দেওয়ার চেষ্টা করছেন।
তৃণমূলে যোগ দিয়ে বিজেপির বিরুদ্ধে সরব হন জন বার্লা। তিনি অভিযোগ করেন, বিজেপি রাজ্যে উন্নয়ন কার্য বন্ধ করে দিয়েছিল এবং তাঁকে আদিবাসীদের জন্য কাজ করতেও দেয়নি। তিনি বলেন, “যে দল উন্নয়ন বন্ধ করে দেয়, সেখানে কিভাবে কাজ করা যায়? আমি এমন দলে কেন থাকব, যারা মানুষের জন্য কাজ করতে দেয় না? চা-বাগানের শ্রমিকরা বিজেপিকে আশীর্বাদ করেছিলেন, কিন্তু বিনিময়ে তাঁরা কী পেয়েছেন?”
বৃহস্পতিবার তৃণমূল কংগ্রেসে যোগ দিয়ে মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে ধন্যবাদ জানান জন বার্লা। তিনি বলেন, “আমি দিদিকে ধন্যবাদ জানাই, যিনি আমাকে চা-বাগানের মানুষের জন্য কাজ করার সুযোগ দিয়েছেন। পশ্চিমবঙ্গে চা-বাগান শ্রমিকদের উপজাতি মর্যাদা দেওয়া হয়েছে। আসামে যেখানে ডাবল ইঞ্জিন সরকার রয়েছে, সেখানেও তা এখনো হয়নি। দিদির দুয়ারে সরকার, লক্ষ্মীর ভাণ্ডার ও অন্যান্য সামাজিক প্রকল্পগুলি চা-বাগানের মানুষদের উপকৃত করেছে।”
তিনি আরও বলেন, বিজেপিতে থাকাকালীন তিনি বহু বাধার সম্মুখীন হয়েছিলেন এবং সাংসদ হয়েও নিজের দায়িত্ব পালন করতে পারেননি। “৬-৭ মাস ধরে আলোচনা চলছিল। দিদি আমায় ডাকলেন মানুষের জন্য কাজ করতে। আমি ইউনিয়ন মন্ত্রী হিসেবে চা-বাগানের জন্য কাজ করেছি, কিন্তু বাধা এসেছে। আমি একটি হাসপাতাল বানাতে চেয়েছিলাম, সম্পূর্ণ অর্থ ছিল, রেলও জমি দিয়েছিল। কিন্তু বিরোধী নেতা শুভেন্দু অধিকারী তা আটকে দেন।”
তিনি বলেন, “১৬০ কোটি টাকার হাসপাতাল বানাতে চেয়েছিলাম। সমঝোতা চুক্তি (MoU) সই হওয়ার কথা ছিল। কিন্তু এখান থেকে ফোন গিয়ে কাজ বন্ধ করে দেয়। যে দলে উন্নয়ন কাজ বন্ধ হয়, সেখানে থেকে কীভাবে কাজ করব? কেন থাকব সেই দলে? চা-বাগান শ্রমিকরা বিজেপিকে আশীর্বাদ করেছিলেন, কিন্তু কী পেলেন তাঁরা?”
২০২১ সালের পর বিজেপি থেকে প্রায় ১০ জন বিধায়ক দলত্যাগ করেছেন। এই প্রেক্ষিতে বার্লার দলবদল ২০২৬ সালের নির্বাচনের আগে বিজেপির জন্য বড় ধাক্কা, বিশেষত উত্তরবঙ্গের চা-বেল্টে। তৃণমূলের প্রবীণ নেতা সুব্রত বক্সী বলেন, “বার্লা আমাদের দলে যোগ দেওয়ায় চা-বাগান স্তরের সংগঠন আরও মজবুত হবে। মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের এই সিদ্ধান্ত সঠিক।”
বানারহাট ব্লক তৃণমূল কংগ্রেস কার্যালয়ে জন বার্লাকে যোগদানের জন্য সংবর্ধনা জানানো হয়। ব্লক সভাপতি সাগর গুরুং ও অন্যান্য বিশিষ্ট নেতৃবৃন্দ অনুষ্ঠানে উপস্থিত ছিলেন।
Ex-Union Minister John Barla joins TMC
John Barla, one of the key architects of the BJP's inroads into North Bengal, had demanded a separate Union Territory by carving out the region from West Bengal in 2021. As a former Union Minister and ex-MP from Alipurduar, Barla had long demanded a separate state while he was in the BJP, claiming that North Bengal lacked development.
In June 2021, Barla reiterated his demand for a separate state or Union Territory in North Bengal, arguing that the region had suffered years of neglect. It remains to be seen what his stance on the issue will be after joining the Trinamool Congress, given that he previously stated West Bengal’s people were not receiving the benefits of central schemes and, as a Union Minister, he was committed to ensuring those benefits reached them.
After joining Trinamool Congress, Mr. Barla criticized the BJP, accusing it of stalling development in the state and preventing him from working for tribal communities. "If development work is obstructed by a party, how can you function? Why should I remain in a party that stops serving the people? Tea garden workers blessed the BJP, but what did they get in return?" he questioned.
On Thursday, John Barla formally joined the Trinamool Congress and thanked Chief Minister Mamata Banerjee for giving him the opportunity to serve the people. “I thank Didi for allowing me to work for the people in tea gardens. The tribal status has been granted to tea garden workers in West Bengal. In Assam, despite a double-engine government, it is yet to be done. Schemes like Duare Sarkar, Lakshmir Bhandar, and others initiated by Mamata Banerjee have benefitted tea garden residents,” Barla said. He claimed that he had faced multiple obstacles while in BJP and was unable to fulfill his responsibilities despite being a public representative.
“Discussions had been ongoing for the past 6-7 months. Didi asked me to work for the people. As a Union Minister, I had worked for tea gardens but faced many hurdles. I wanted to build a hospital and received full funding for it, but Leader of Opposition Suvendu Adhikari prevented its construction. The Centre provided 100% funding, and the Railways had cleared the land,” Barla alleged.
Criticizing Adhikari further, Barla added, “I proposed a ₹160 crore hospital. We were on the verge of signing the MoU when a call from here halted the project. If a party stops development, how can anyone work? Why remain in such a party? Tea garden workers supported BJP — but what did they get in return?”
Following the defection of about 10 BJP MLAs since 2021, Barla’s exit is seen as a blow to the BJP ahead of the 2026 Assembly elections, especially in the tea belt of North Bengal. Senior TMC leader Subrata Bakshi remarked, “Barla’s inclusion will strengthen our tea garden-level organization. Mamata Banerjee made the right decision.”
John Barla was felicitated at the Banarhat Block AITC Office upon his joining the TMC. Block President Sagar Gurung and other senior leaders were present at the occasion.
पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉन बारला तृणमूल कांग्रेस में शामिल
उत्तर बंगाल में बीजेपी के विस्तार के प्रमुख रणनीतिकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा अलीपुरद्वार के पूर्व सांसद जॉन बारला ने 2021 में राज्य को विभाजित कर एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की थी। बीजेपी में रहते हुए वह लंबे समय से उत्तर बंगाल के लिए अलग राज्य की मांग करते रहे हैं, यह कहते हुए कि क्षेत्र विकास से वंचित रहा है।
अब देखना होगा कि तृणमूल में शामिल होने के बाद उनका रुख क्या होता है, क्योंकि बीजेपी में रहते हुए उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल की जनता को केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है और एक केंद्रीय मंत्री के रूप में वह यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे थे कि लोगों को इसका लाभ मिले।
तृणमूल में शामिल होने के बाद श्री बारला ने बीजेपी पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि पार्टी ने राज्य में विकास कार्यों को रोक दिया था और उन्हें आदिवासियों के लिए काम नहीं करने दिया। उन्होंने कहा, "अगर कोई पार्टी विकास कार्यों को रोक देती है तो आप कैसे काम करेंगे? मैं उस पार्टी का हिस्सा क्यों रहूं जो लोगों के लिए काम नहीं करती? चाय बागान के मजदूरों ने बीजेपी को आशीर्वाद दिया, लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला?"
गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल होकर उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “मैं दीदी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे चाय बागान के लोगों के लिए काम करने का मौका दिया। पश्चिम बंगाल में चाय बागान के श्रमिकों को आदिवासी दर्जा दिया गया है। असम में, जहां डबल इंजन सरकार है, अब तक ऐसा नहीं हुआ है। दीदी की योजनाओं जैसे द्वारे सरकार, लक्ष्मी भंडार आदि से चाय बागानों के लोग लाभान्वित हुए हैं।”
बारला ने कहा कि बीजेपी में उन्हें कई बार अड़चनों का सामना करना पड़ा और एक जन प्रतिनिधि होने के बावजूद वह अपना काम नहीं कर सके। “पिछले 6-7 महीनों से चर्चा चल रही थी। दीदी ने मुझे लोगों के लिए काम करने के लिए बुलाया। मैं यूनियन मंत्री रहते हुए चाय बागानों के लिए काम कर रहा था, लेकिन रुकावटें थीं। मैं एक अस्पताल बनाना चाहता था। फंड पूरा मिल गया था, रेलवे ने जमीन भी दे दी थी, लेकिन विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसे रोक दिया।”
उन्होंने कहा, “मैं ₹160 करोड़ का अस्पताल बनाना चाहता था। एमओयू साइन होने ही वाला था, लेकिन यहां से मंत्रालय को फोन गया और काम रुक गया। जब कोई पार्टी विकास को ही रोक दे, तो उस पार्टी में कैसे काम हो सकता है? मैं क्यों रहूं उस पार्टी में? चाय बागान के श्रमिकों ने बीजेपी को समर्थन दिया था, लेकिन उन्हें बदले में क्या मिला?”
2021 के बाद से लगभग 10 भाजपा विधायकों के पलायन के बाद, बारला का पार्टी छोड़ना विशेषकर उत्तर बंगाल के चाय क्षेत्र में, 2026 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वरिष्ठ तृणमूल नेता सुभ्रत बक्शी ने कहा, “बारला के पार्टी में शामिल होने से हमारे चाय बागान स्तर की संगठनात्मक ताकत बढ़ेगी। ममता बनर्जी का यह निर्णय बिल्कुल सही है।”
जॉन बारला को तृणमूल में शामिल होने पर बनरहाट ब्लॉक एआईटीसी कार्यालय में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ब्लॉक अध्यक्ष सागर गुरंग और अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे।
John Barla, one of the key architects of the BJP's inroads into North Bengal, had demanded a separate Union Territory by carving out the region from West Bengal in 2021. As a former Union Minister and ex-MP from Alipurduar, Barla had long demanded a separate state while he was in the BJP, claiming that North Bengal lacked development.
In June 2021, Barla reiterated his demand for a separate state or Union Territory in North Bengal, arguing that the region had suffered years of neglect. It remains to be seen what his stance on the issue will be after joining the Trinamool Congress, given that he previously stated West Bengal’s people were not receiving the benefits of central schemes and, as a Union Minister, he was committed to ensuring those benefits reached them.
After joining Trinamool Congress, Mr. Barla criticized the BJP, accusing it of stalling development in the state and preventing him from working for tribal communities. "If development work is obstructed by a party, how can you function? Why should I remain in a party that stops serving the people? Tea garden workers blessed the BJP, but what did they get in return?" he questioned.
On Thursday, John Barla formally joined the Trinamool Congress and thanked Chief Minister Mamata Banerjee for giving him the opportunity to serve the people. “I thank Didi for allowing me to work for the people in tea gardens. The tribal status has been granted to tea garden workers in West Bengal. In Assam, despite a double-engine government, it is yet to be done. Schemes like Duare Sarkar, Lakshmir Bhandar, and others initiated by Mamata Banerjee have benefitted tea garden residents,” Barla said. He claimed that he had faced multiple obstacles while in BJP and was unable to fulfill his responsibilities despite being a public representative.
“Discussions had been ongoing for the past 6-7 months. Didi asked me to work for the people. As a Union Minister, I had worked for tea gardens but faced many hurdles. I wanted to build a hospital and received full funding for it, but Leader of Opposition Suvendu Adhikari prevented its construction. The Centre provided 100% funding, and the Railways had cleared the land,” Barla alleged.
Criticizing Adhikari further, Barla added, “I proposed a ₹160 crore hospital. We were on the verge of signing the MoU when a call from here halted the project. If a party stops development, how can anyone work? Why remain in such a party? Tea garden workers supported BJP — but what did they get in return?”
Following the defection of about 10 BJP MLAs since 2021, Barla’s exit is seen as a blow to the BJP ahead of the 2026 Assembly elections, especially in the tea belt of North Bengal. Senior TMC leader Subrata Bakshi remarked, “Barla’s inclusion will strengthen our tea garden-level organization. Mamata Banerjee made the right decision.”
John Barla was felicitated at the Banarhat Block AITC Office upon his joining the TMC. Block President Sagar Gurung and other senior leaders were present at the occasion.
पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉन बारला तृणमूल कांग्रेस में शामिल
उत्तर बंगाल में बीजेपी के विस्तार के प्रमुख रणनीतिकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा अलीपुरद्वार के पूर्व सांसद जॉन बारला ने 2021 में राज्य को विभाजित कर एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की थी। बीजेपी में रहते हुए वह लंबे समय से उत्तर बंगाल के लिए अलग राज्य की मांग करते रहे हैं, यह कहते हुए कि क्षेत्र विकास से वंचित रहा है।
अब देखना होगा कि तृणमूल में शामिल होने के बाद उनका रुख क्या होता है, क्योंकि बीजेपी में रहते हुए उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल की जनता को केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है और एक केंद्रीय मंत्री के रूप में वह यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे थे कि लोगों को इसका लाभ मिले।
तृणमूल में शामिल होने के बाद श्री बारला ने बीजेपी पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि पार्टी ने राज्य में विकास कार्यों को रोक दिया था और उन्हें आदिवासियों के लिए काम नहीं करने दिया। उन्होंने कहा, "अगर कोई पार्टी विकास कार्यों को रोक देती है तो आप कैसे काम करेंगे? मैं उस पार्टी का हिस्सा क्यों रहूं जो लोगों के लिए काम नहीं करती? चाय बागान के मजदूरों ने बीजेपी को आशीर्वाद दिया, लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला?"
गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल होकर उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “मैं दीदी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे चाय बागान के लोगों के लिए काम करने का मौका दिया। पश्चिम बंगाल में चाय बागान के श्रमिकों को आदिवासी दर्जा दिया गया है। असम में, जहां डबल इंजन सरकार है, अब तक ऐसा नहीं हुआ है। दीदी की योजनाओं जैसे द्वारे सरकार, लक्ष्मी भंडार आदि से चाय बागानों के लोग लाभान्वित हुए हैं।”
बारला ने कहा कि बीजेपी में उन्हें कई बार अड़चनों का सामना करना पड़ा और एक जन प्रतिनिधि होने के बावजूद वह अपना काम नहीं कर सके। “पिछले 6-7 महीनों से चर्चा चल रही थी। दीदी ने मुझे लोगों के लिए काम करने के लिए बुलाया। मैं यूनियन मंत्री रहते हुए चाय बागानों के लिए काम कर रहा था, लेकिन रुकावटें थीं। मैं एक अस्पताल बनाना चाहता था। फंड पूरा मिल गया था, रेलवे ने जमीन भी दे दी थी, लेकिन विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसे रोक दिया।”
उन्होंने कहा, “मैं ₹160 करोड़ का अस्पताल बनाना चाहता था। एमओयू साइन होने ही वाला था, लेकिन यहां से मंत्रालय को फोन गया और काम रुक गया। जब कोई पार्टी विकास को ही रोक दे, तो उस पार्टी में कैसे काम हो सकता है? मैं क्यों रहूं उस पार्टी में? चाय बागान के श्रमिकों ने बीजेपी को समर्थन दिया था, लेकिन उन्हें बदले में क्या मिला?”
2021 के बाद से लगभग 10 भाजपा विधायकों के पलायन के बाद, बारला का पार्टी छोड़ना विशेषकर उत्तर बंगाल के चाय क्षेत्र में, 2026 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वरिष्ठ तृणमूल नेता सुभ्रत बक्शी ने कहा, “बारला के पार्टी में शामिल होने से हमारे चाय बागान स्तर की संगठनात्मक ताकत बढ़ेगी। ममता बनर्जी का यह निर्णय बिल्कुल सही है।”
जॉन बारला को तृणमूल में शामिल होने पर बनरहाट ब्लॉक एआईटीसी कार्यालय में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ब्लॉक अध्यक्ष सागर गुरंग और अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे।
उत्तर बंगाल में बीजेपी के विस्तार के प्रमुख रणनीतिकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा अलीपुरद्वार के पूर्व सांसद जॉन बारला ने 2021 में राज्य को विभाजित कर एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की थी। बीजेपी में रहते हुए वह लंबे समय से उत्तर बंगाल के लिए अलग राज्य की मांग करते रहे हैं, यह कहते हुए कि क्षेत्र विकास से वंचित रहा है।
अब देखना होगा कि तृणमूल में शामिल होने के बाद उनका रुख क्या होता है, क्योंकि बीजेपी में रहते हुए उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल की जनता को केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है और एक केंद्रीय मंत्री के रूप में वह यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे थे कि लोगों को इसका लाभ मिले।
तृणमूल में शामिल होने के बाद श्री बारला ने बीजेपी पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि पार्टी ने राज्य में विकास कार्यों को रोक दिया था और उन्हें आदिवासियों के लिए काम नहीं करने दिया। उन्होंने कहा, "अगर कोई पार्टी विकास कार्यों को रोक देती है तो आप कैसे काम करेंगे? मैं उस पार्टी का हिस्सा क्यों रहूं जो लोगों के लिए काम नहीं करती? चाय बागान के मजदूरों ने बीजेपी को आशीर्वाद दिया, लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला?"
गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल होकर उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “मैं दीदी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे चाय बागान के लोगों के लिए काम करने का मौका दिया। पश्चिम बंगाल में चाय बागान के श्रमिकों को आदिवासी दर्जा दिया गया है। असम में, जहां डबल इंजन सरकार है, अब तक ऐसा नहीं हुआ है। दीदी की योजनाओं जैसे द्वारे सरकार, लक्ष्मी भंडार आदि से चाय बागानों के लोग लाभान्वित हुए हैं।”
बारला ने कहा कि बीजेपी में उन्हें कई बार अड़चनों का सामना करना पड़ा और एक जन प्रतिनिधि होने के बावजूद वह अपना काम नहीं कर सके। “पिछले 6-7 महीनों से चर्चा चल रही थी। दीदी ने मुझे लोगों के लिए काम करने के लिए बुलाया। मैं यूनियन मंत्री रहते हुए चाय बागानों के लिए काम कर रहा था, लेकिन रुकावटें थीं। मैं एक अस्पताल बनाना चाहता था। फंड पूरा मिल गया था, रेलवे ने जमीन भी दे दी थी, लेकिन विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसे रोक दिया।”
उन्होंने कहा, “मैं ₹160 करोड़ का अस्पताल बनाना चाहता था। एमओयू साइन होने ही वाला था, लेकिन यहां से मंत्रालय को फोन गया और काम रुक गया। जब कोई पार्टी विकास को ही रोक दे, तो उस पार्टी में कैसे काम हो सकता है? मैं क्यों रहूं उस पार्टी में? चाय बागान के श्रमिकों ने बीजेपी को समर्थन दिया था, लेकिन उन्हें बदले में क्या मिला?”
2021 के बाद से लगभग 10 भाजपा विधायकों के पलायन के बाद, बारला का पार्टी छोड़ना विशेषकर उत्तर बंगाल के चाय क्षेत्र में, 2026 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वरिष्ठ तृणमूल नेता सुभ्रत बक्शी ने कहा, “बारला के पार्टी में शामिल होने से हमारे चाय बागान स्तर की संगठनात्मक ताकत बढ़ेगी। ममता बनर्जी का यह निर्णय बिल्कुल सही है।”
जॉन बारला को तृणमूल में शामिल होने पर बनरहाट ब्लॉक एआईटीसी कार्यालय में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ब्लॉक अध्यक्ष सागर गुरंग और अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे।
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